डायरी के पन्नों पे बुला कर देखते हैं
बादशाह होगे तुम अपने घर में हम गलियों के शहजादे हैं
रूखी सूखी खाकर भी खुशियां लूट लाते बहुत ज्यादे हैं ।
~ सिद्धार्थ
चाह कर किसी को हृदय से लगाया तो नहीं जाता
मौन की भाषा दिल के सिवा और किसी को समझ नहीं आता ।
~ सिद्धार्थ
हम अपनी हाथों से आज तेरा नाम लिख के देखते हैं
आज तुझे कलम से डायरी के पन्नों पे बुला के देखते है।
~ सिद्धार्थ