डायन
इस डायन को कोई तो रोके
निगले,बचे न कुछ रखने को
तीसरे अनछुए अव्वल दोस्त
बीच वाले ही मिले,डसने को।
महबूबा हमारी इश्क है हमसे
गले लगाए हमे,दुख सहने को
हम एक दूजे के,बनी मिसाल
मर गये, बचा क्या कहने को।
शमा परवाना खाक होजाएगें
न रहेंगे नाम बदनाम करने को
रहे आबाद मेरी जान सरकार
पुष्प मे पराग, तुम्हे जनने को।
पीती खून हमारा होती जवान
टैक्स दर टैक्स लहू पीने को
साल दर साल ये बढती जाती
हम वहीं, बचा क्या कहने को
निम्न सरकारी सुविधा से लैस
ढेड़ फीसद हैं मौज करने को
डायन मंहगाई मुंह बाये खड़ी
मरे, मिडिलक्लास कहने को
कब सोचेंगे नुमाइंदे मेरे अपने
हम से हैं पलते नाम करने को
इन्फ्रास्ट्रक्चर विदेशों मे नाम
छोड़ो मिडिल जिन्दा रहने को
स्वरचित मौलिक
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297