डाक्टर भगवान है
…….. डाक्टर
जात- पात से, जो बहुत ही दूर है!
मानवता की रक्षा में, मशहूर है!!
कब देखी है नींद , इसने रात की!
दिन भर लड़ता रहा, जंग जज़्बात की!!
महामारी में कब, सैनिक से कम रहा !
मौत के सामने ,खड़ा लड़ता रहा!!
मानवता का, सबसे प्यारा रूप है!
तुम हो तो जीवन में, छांव- धूप है!!
आलस्य तुमसे भागता, कोसों दूर!
जब रोगी आ जाए पास, होकर मजबूर!!
तुम धरती के ईश्वर, कहलाते हो!
जब तुम मरते ,रोगी को बचाते हो!!
बैध, हकीम, डाक्टर, जहां नहीं मिलते!
खुशीयों वाले फूल, नहीं वहां खिलते!!
गांव- गांव और शहर, यदि विद्यालय हो!
इनके बराबर कम से कम, औषधालय हो!!
डॉक्टरों का मिलकर, सब सम्मान करो !
इनका नहीं कभी भी तुम, अपमान करो!!
यह देते जीवन तुमको, खुद से लड़कर!
इस धरा पर कोई नहीं, इनसे बढ़कर !!
“सागर” हमने, महामारी में देखा है!
मौत से लड़ कर, जीवन इसने सींचा है!!
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मूल रचनाकार
जनकवि /बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
9149087291