डाँट ज़रूर खाई !!!
सास ने मेरी पहले ही कहा था
खाना बनाना सीख लेना
हम भी कहाँ कम थे
बेकिंग का कोर्स कर लिया
लेकिन अब रोज़ रोज़ तो
केक पेस्ट्री खाई नहीं गई
हाँ डाँट ज़रूर खाई
फिर आया एक और बवाल
बनाना था एक दिन मलाई का घी
हम भी कहाँ कम थे
मक्खन निकाल अलग रखा
और चढ़ा दी छाछ चूल्हे पर ,घी बनने
सोचा मक्खन तो वैसे ही खा लेंगे
शायद छाछ का ही घी बनाते होंगे
वो तो बना नहीं पाई
हाँ डाँट ज़रूर खाई
फिर आया दूध से दही बनाने का काम
सासु माँ ने फ़रमाया
दही चारों और प्याले में फैला के लगाना
दही अच्छा जमेगा
हम भी कहाँ कम थे
लपेटा प्याला चारों तरफ़ दही से
और जमा दिया
अब ये तो सोच नहीं पाए
दही प्याले के अंदर था फैलाना
बाहर से नहीं था प्याले को लपेटना
फिर क्या था
दही तो जमा नहीं पाई
हाँ डाँट ज़रूर खाई
बस वो दिन है और आज का दिन
सासु माँ हमारी
सिर पकड़ बैठी हैं
पढाई लिखाई किस काम की
जब तुम खाना नहीं बना पाई
स्वरचित मीनू लोढ़ा ….