डर
मुझे डर लगता है
किसी बंदूक से नहीं
किसी हिंसा से नहीं
बल्कि तुम्हारे विचारों से
विचारों के नाख़ून
इतने पैने होते हैं
कि मेरे भय को बढ़ाते हैं
मेरे विचारों को रौंद डालते हैं.
मुझे डर लगता है
किसी बंदूक से नहीं
किसी हिंसा से नहीं
बल्कि तुम्हारे विचारों से
विचारों के नाख़ून
इतने पैने होते हैं
कि मेरे भय को बढ़ाते हैं
मेरे विचारों को रौंद डालते हैं.