“” डर हैं मजाक बन जाने का””
हंसने में बेवकूफ़ समझे जाने का डर हैं।।
रोने में जज्बाती समझे जाने का डर है।।
लोगों से मिलने में नाते जुड जाने का डर है।।
अपनी भावनाएँ प्रकट करने में, मन की सच्ची बात खुल जाने का डर है।।
अपने विचार, अपने सपने लोगों से कहने में, उनके चुरा लिए जाने का डर है।।
किसी को प्रेम करने पर बदले में प्रेम न पाने का डर है।।
जीने में मरने का डर है…
आशा में निराशा का डर हैं…
कोशिश करने में असफलता का डर हैं।।
डर कैसा भी हो सामना जरूर करें.,
डर से डरकर मरना नही उसका सामना करते हुए मरे तो कोई गिला नहीं, पर डर का मुकाबला करने के लिए डटे रहे।।।
जो शख्स जिन्दगी में डर से डरकर बैठ जाते हैं।।
वे जिन्दगी में दुख दर्द से बच सकते हैं।।
लेकिन वो सीखने, संघर्ष करने, महसूस करने बदलाव लाने, आगे बढने, प्रेम करने और जीवन जीने को नहीं सीख पाते हैं।।
(मेरी तरह लगे रहो लक्ष्य को हासिल करने के लिए देखते किस्मत नसीब कहाँ तक जाता है।।
एक दिन तो आना पडेगा नसीब को भी मेरे पास लेकर अपना दामन)
“” “” “” “” “” “” “” धन्यवाद “” “” “” “” “” “” “”