Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2017 · 3 min read

डर के आगे जीत है (संस्मरण)

आज सोशल मीडिया पर एक मित्र द्वारा प्रेषित ये फोटो देखकर मुझे अपना बचपन फिर से याद आ गया… कुछ दर्द भरा बचपन…. ना ना ना… गलत ना सोचे…..मेरा बचपन बहुत सुहाना था….पर कुछ दर्द वाली यादें भी हैं…. जिन्हें अब याद करके मुस्कराहट अपने आप ही होंठो पर आ जाती है और सोचती हूँ कितनी डरपोक थी मैं…..फिर लगता है सभी को डर तो लगता ही है…..किसी को छोटी बात पर और किसी को बड़ी बात पर…..

कुछ ऐसी ही, फोटो वाले बच्चे जैसे ही, थी मैं भी बचपन में…… इंजेक्शन से डर या यूँ कहूँ हौवा था मेरे लिए बचपन में…. देखते ही शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती थी, दर्द महसूस होने लगता था…. डॉक्टर के क्लीनिक जाने से पहले ही रोना चालू हो जाता था…..उन दिनों हमारे पारिवारिक डॉक्टर पटेल अंकल थे…..मेरी प्रिय सहेली रजनी के पापा….अंकल हमेशा इंजेक्शन लगाने के पहले कहते बेटा इधर मत देखो….कुछ नही होगा….बस चींटी के काटने से भी कम दर्द होगा….पर अंकल को मैं कैसे समझाती कि मेरे लिए ये छोटा सा दर्द किसी बड़े ऑपरेशन के दर्द से कतई कम नही था…..

उन दिनों स्कूल में टीके लगाये जाते थे ….. मुझे याद आ रहा है ऐसे ही एक साल जब पहली बार स्कूल में बच्चों को टीके लगने वाले थे….पहले से पता तो नही था….पर जैसे ही पता चला सभी को इंजेक्शन लगने वाले हैं…फिर क्या था मुझे तो सिर्फ क्लास की खिड़कियां दिख रही थी क्योंकि दरवाजे पर तो आचार्य जी खड़े थे….फिर क्या था मौका मिला और फांद ली स्कूल की खिड़की और घर पहुँच कर ही चैन की साँस ली…..पर इतनी आसानी से हम कहाँ बचने वाले थे….दूसरे दिन, जिन बच्चों को टीके नही लगे थे उन्हें फिर से कतार में खड़ा किया गया….अब क्या, हमें तो काटो तो खून नही….आज तो भागने का भी सवाल नही था क्योंकि लाइन में बच्चे कम थे….सब पर नजर थी….पर हम भी कहाँ हार मानने वाले थे….वो रोना-धोना मचाया कि आखिर डॉक्टर को कहना पड़ा “तुम तो रहने दो बेटा”….और हम बच गए उस भयानक दर्द से….अगले साल से तो पहले से ही पता करके रखते कि टीके कब लगने वाले हैं और उसके 2-3 दिन तक हमारी स्कूल की छुट्टी….

एक साल हमें बहुत ज्यादा खांसी हो गई थी…पटेल अंकल ने पापा को बताया कि बिना इंजेक्शन के ठीक नही होगा….. वो भी एक दो दिन नही, पूरे 30 दिन तक लगातार इंजेक्शन लगने थे….अब तो आप समझ ही गए होंगे हमें उस क्षण कैसा महसूस हो रहा होगा….उस दिन जो दहाड़े मार मार के रोये कि थक कर अंकल को दवाइयाँ ही देनी पड़ी….और हम ढेर सारी कड़वी दवाइयाँ खाकर भी खुश थे कि मुई सुई के दर्द से तो बचे…..

हमारे इस डर ने काफी बड़े होते तक हमारा साथ नही छोड़ा….फिर वो वक़्त भी आया जब लगा इस डर के आगे आने वाली ख़ुशी नन्ही सी जान की सेहत ज्यादा जरुरी है…..उस समय बड़ा बेटा हमारे परिवार का हिस्सा बनने वाला था….टिटेनस का पहला इंजेक्शन लगने वाला था..पहले तो साफ़ मना कर दिया….नहीं लगवाएंगे इंजेक्शन…पर नन्ही सी जान का ख्याल आते ही थोड़ी हिम्मत जुटाई……फिर क्या था अपने आप को मजबूत किया और जोर से आँखे बंद कर ली…… और आँख तब ही खोली जब डॉक्टर ने कहा…. हो गया अब उठ जाइये….अरे ये क्या हमें तो पता ही नही चला कि कब इंजेक्शन लग गया, दर्द होना तो दूर की बात है…..उस दिन अपने आप पर बहुत हँसी भी आई कि आज तक खामखाँ ही हम डरते रहे…..उस दिन खुश थे कि चलो छोटी सी जान के कारण ही सही आज इस डर पर जीत हमने पा ही लिया….

उसके बाद आज तक इंजेक्शन से कभी डर नही लगा….और इंजेक्शन से डरने वाली लड़की ने पड़ोसन को आपरेशन में ज्यादा खून बह जाने पर पहली बार रक्तदान भी किया…..और उस दिन के बाद से नियमित रूप से रक्तदान भी करती रहती हूँ…रक्तदान करते समय हाथ में लगी सुई और बोतल में जाते खून को देखकर डर नही लगता और ना ही दर्द होता है, बल्कि एक अजीब सी ख़ुशी का अनुभव होता है….

क्या आपने अपने डर पर जीत हासिल कर ली?….क्या आपने उस अजीब सी ख़ुशी का अनुभव लिया है?….अगर नही तो कभी जरूर लीजियेगा….बहुत अच्छा लगता है…..

——-लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’

Language: Hindi
913 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
कभी गुज़र न सका जो गुज़र गया मुझमें
कभी गुज़र न सका जो गुज़र गया मुझमें
Shweta Soni
खता मंजूर नहीं ।
खता मंजूर नहीं ।
Buddha Prakash
फर्ज़ अदायगी (मार्मिक कहानी)
फर्ज़ अदायगी (मार्मिक कहानी)
Dr. Kishan Karigar
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
sushil sarna
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल/गीतिका 】*
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल/गीतिका 】*
Ravi Prakash
छोड़ जाते नही पास आते अगर
छोड़ जाते नही पास आते अगर
कृष्णकांत गुर्जर
उसकी जरूरत तक मैं उसकी ज़रुरत बनी रहीं !
उसकी जरूरत तक मैं उसकी ज़रुरत बनी रहीं !
Dr Manju Saini
💐अज्ञात के प्रति-144💐
💐अज्ञात के प्रति-144💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2552.*पूर्णिका**कामयाबी का स्वाद चखो*
2552.*पूर्णिका**कामयाबी का स्वाद चखो*
Dr.Khedu Bharti
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
NSUI कोंडागांव जिला अध्यक्ष शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana
NSUI कोंडागांव जिला अध्यक्ष शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana
Bramhastra sahityapedia
हमारी मूर्खता ही हमे ज्ञान की ओर अग्रसर करती है।
हमारी मूर्खता ही हमे ज्ञान की ओर अग्रसर करती है।
शक्ति राव मणि
ज़मीर
ज़मीर
Shyam Sundar Subramanian
मित्रता-दिवस
मित्रता-दिवस
Kanchan Khanna
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
Amulyaa Ratan
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
शेखर सिंह
मेरी माटी मेरा देश🇮🇳🇮🇳
मेरी माटी मेरा देश🇮🇳🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
Swami Ganganiya
मिलना था तुमसे,
मिलना था तुमसे,
shambhavi Mishra
मेरा सोमवार
मेरा सोमवार
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कोशिश
कोशिश
Dr fauzia Naseem shad
अच्छे नहीं है लोग ऐसे जो
अच्छे नहीं है लोग ऐसे जो
gurudeenverma198
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
ये मौन अगर.......! ! !
ये मौन अगर.......! ! !
Prakash Chandra
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
नूरफातिमा खातून नूरी
“SUPER HERO(महानायक) OF FACEBOOK ”
“SUPER HERO(महानायक) OF FACEBOOK ”
DrLakshman Jha Parimal
।। अछूत ।।
।। अछूत ।।
साहित्य गौरव
Loading...