डर कर लक्ष्य कोई पाता नहीं है ।
बड़े-बड़े लक्ष्यों से,
डगमगाता नहीं मानव पुतला ,
प्राण बसे इसके अंदर है ,
मुसीबतों से घबराता नहीं है ।
डर कर लक्ष्य कोई पाता नहीं है ।।१।
संघर्ष करता डटा रहता है ,
कोशिशे अंत समय तक करता है ,
‘लक्ष्य’ है तय किया है पाने को ,
डिगेगा नहीं निर्णय मजबूत लिया है ।
डर कर लक्ष्य कोई पाता नहीं है ।।२।
हौसलें बुलंद है अंदर से ,
कर्म पथ से पीछे नहीं हटेगा ,
जंग है रणभूमि में न सही ,
मजबूत इरादों के बल तो बढ़ेगा ।
डर कर लक्ष्य कोई पाता नहीं है ।।३।
जुनून खुद ही भर जाता हृदय में ,
प्रत्यक्ष खड़ा प्रतिद्वंदी नजर आता है,
कोशिश तब तक कम नहीं करना है तुझे ,
लक्ष्य पाने तक ही भटकना है ।
डर कर लक्ष्य कोई पाता नहीं है ।।४।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।