डरे गड़ेंता ऐंड़ाने (बुंदेली गीत)
दाँद परी सो
चुरे घाम में
जड़कारें में जड़याने ।
सूँकौ-तींतौ
जैसें-तैसें कट गव
कक्का बसकारौ,
उन्ना-लत्ता
की छौंटई है कैसें
कट है जड़कारौ ।
पुचकी घेंटी,
सूकीं बालें,
पत्ता सबरे तुतलाने ।
कुहल,ओस कौ
कहल मचौ है
दुफरै दूबा जड़यानी,
सुर्रक-घुर्रक
फसी गरे में
खाँसी बनकें पुठयानी ।
फूल-फूल झर
गय हैं सबरे
पत्ता-पत्ता मुरझाने ।
कुआ रीत गव,
मोटर बर गई
और नाजलें ऐंड़ानी,
मूड़ मुड़ाई ओरे
पर गय,फूट
खपरिया खुनयानी ।
फन कुकरे औ’
जहर सूक गव
डरे गड़ेंता ऐंड़ाने ।
दाँद परी सो
चुरे घाम में
जड़कारे में जड़याने ।
०००
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।
मो.- 8463884927