डरने लगता हूँ…
गुनाह अपने गिनाता हूँ डरने लगता हूँ
खुदा के सामने जाता हूँ डरने लगता हूँ
कुछ इतना ख़ौफ़ज़दा हूँ मैं अपने कमरे में
कोई चराग़ जलाता हूँ डरने लगता हूँ
अब इस मक़ाम पे पहुंची है मेरी तन्हाई
क़रीब खुद के भी जाता हूँ डरने लगता हूँ
क़रीब देख के मुझको लिपट न जाए कहीं
मैं उसकी बज़्म में जाता हूँ डरने लगता हूँ
कहीं वो जान न ले मेरे दिल की हालत को
किसी को शेर सुनाता हूँ डरने लगता हूँ
~Aadarsh Dubey