डगर
चला चल मुसाफिर डगर धीरे धीरे।
कटेगा दुखों का सफ़र धीरे धीरे।।
जो घेरें अंधेरे तो डरना नही है।
असत रोके राहें तो रुकना नही है।।
मिलेगा सवेरा मगर धीरे धीरे।।
कटेगा दुखो का सफर धीरे धीरे।।
जो लग जाए ठोकर सम्हलते ही रहना।
व्यथा अपने मन की किसी से न कहना।।