डगर यह न _छोड़ेंगे__गीत
कर्मवीर बन दौड़ रहे हैं _
मंजिल की तलाश है।
अभी चाहे वह दूर खड़ी हो_
मगर आएगी पास है ।।
डगर यह न छोड़ेंगे_ तकदीर को अपनी मोड़ेंगे।।
(१)
लक्ष्य तुम्हारा भी कोई हो _
तुम भी उसको पा लेना।
मेहनत की कमाई यारों _
अपने बल पर खा लेना ।।
अपनी वाणी से हम तो बस_
बात यही एक छोड़ेंगे ।
अभी चाहे वह दूर खड़ी हो_
मगर आएगी पास है।
डगर यह न छोड़ेंगे _तकदीर को अपनी मोड़ेंगे।।
(२)
हमने अपनी बात रखी है_
बात तुम्हारी तुम रख दो।
असफल कहां परिश्रम होता है _
स्वाद इसका तुम भी चख लो ।।
आराम की सोच का हमको _
कभी नहीं मोहपाश है।
अभी चाहे वह दूर खड़ी हो ।
मगर आएगी पास है।।
डगर यह न छोड़ेंगे_ तकदीर को अपनी मोड़ेंगे।।
राजेश व्यास अनुनय