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28 Oct 2022 · 1 min read

डगर-डगर नफ़रत

फूँक देगी सभी ये घर नफ़रत
दूर दिल से न की अगर नफ़रत

मजहबी ज़ह्र है फ़ज़ाओं में
ढो रहा आज हर बशर नफ़रत

भाषणों से परोस दी तुमने
दूर से आ रही नज़र नफ़रत

एक-दूजे से डर रहे हैं सब
*छल रही है डगर-डगर नफ़रत

दीप उल्फ़त के अब जला भी लें
डालतीहै बुरा असर नफ़रत*

*भाग कर जाएँ भी कहाँ अब हम
हर तरफ़ है इधर-उधर नफ़रत

देखकर इसको नाक-मुँह बनते
सच में होती बुरी ख़बर नफ़रत

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
19/10/2022

Language: Hindi
175 Views

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