ठेका खुलवाया जाएगा
ठेका खुलवाया जाएगा
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हालात- ए- गरीबी को, इससे भी नापा जाएगा ।
गरीबों की बस्ती में, ठेका खुलवाया जाएगा।।
भुखमरी फैली है लेकिन, रस्ते सारे बंद हैं।
बस शराब के ठेके तक, उनको पहुंचाया जाएगा।।
इससे ही तो पता चलेगा, गरीब नहीं है बस्ती में।
इसे पीकर भूखे घर में, हल्ला मचावाया जाएगा।।
बच्चे भूखे, बीवी भूखी, चूल्हा भूखा सो गया ।
सुबह शराबी की मौत का,ढोल बजाया जायेगा।।
लॉक डाउन में नहीं खुलेगा, दैनिक राशन का दुकान।
और छींखने -खांसने पर, सबको उठवाया जाएगा।।
शिक्षा बंद ,शिवालय बंद ,बंद है मस्जिद ,गुरुद्वारे ।
सबसे बड़ा क्या ठेका हो गया, जो यू खुलवाया जाएगा।।
रोज करोड़ों- अरबों के ,घोटाले देश में आम हैं।
जरा विपत्ति आए तो ,चंदा उघवाया जाएगा।।
क्या शराब के ठेके से, कोरोना डर जाता है।
बिना पुलिस प्रशासन के, जो वो खुलवाया जाएगा।।
अच्छा है अच्छा ही किया है, खोल शराब के ठेकों को ।
गरीब को गम भुला कर, ऐसे मरवाया जाएगा।।
आंखिर क्या मकसद है भाई,ठेका यूं खुलवानें का।
इस साजिश का आखिर “सागर”, कौन पता लगाएगा।।
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बेखौफ शायर /गीतकार /लेखक/ चिंतक…
डॉ. नरेश कुमार “सागर”