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7 Oct 2024 · 1 min read

“ठूंस ठूंसकर घूस खाने के बाद भी,

“ठूंस ठूंसकर घूस खाने के बाद भी,
रिश्वतखोर डकार तक नहीं लेते हैं ll

तन्ख्वाह भी खाते हैं, घूस भी खाते हैं,
और तो और डकार तक नहीं लेते हैं ll

सडक नालियां पुल सब खा जाते हैं,
इंसानी ढोर डकार तक नहीं लेते हैं ll

गरीबों का खून-सुकून पीते-खाते हैं,
ये आदमखोर डकार तक नहीं लेते हैं ll

हजार दस हजार तो ऊँट के मुंह में जीरा जैसे हैं
ये खा-खाकर लाख करोड़ डकार तक नहीं लेते हैं ll”

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