ठीक सुना आपने
हसो मत, मत हसो।
मैं रो रहा, और तुम लोग हस रहे,
शर्म नहीे आती, तुम लोगो को
देखकर दशा उनकी,
जो मेरी भूख हैं।
मैं कभी मर नहीं पाता,
हां जन्म ले लेता हूं जरुर
दंगे, त्रासदियों, बटवारे के बाद
विस्थापितो के बीच।
तो कभी उनके घर,
जिनके पास खाने को नहीं।
मैं भूखमरी हूं,
हॉ, मैं भूखमरी हीं हूं,
ठीक सुना आपने
मैं भूखमरी हीं हूं।
खत्म करने को मुझे चली योजनायें कई,
पर पहुॅची वहीं तक हीे
जहॉ तक थी चमक कैमरे की।
भण्डारे भी वहीं लगे
जहॉ उम्मीद थी पब्लिसिटी मिलने की।
विज्ञान की पहुॅच हैं, कोने-कोने तक
फिर भी ढूढ क्यो नहीे पाता, वह
कोयले के खदान में , खॉची लिए
भूखी माँ के तपते कलेजे को,
जहॉ मैं जन्म लेने की सोच रहा हूं ।
मुझे कोई नहीं मार सकता,
षायद अमर सा हो गया हूं,
फिर भी करता इन्तजार
उस कोई नहीं की,
जो मुझे मार सकता हैं।
तुम लोग,
हाँ, हाँ तुम लोग
हसो मत, मत हसो।