ठीक नहीं
हर ज़गह आईना हो जाना ठीक नहीं,
रिश्तों को आज़माना ठीक नहीं।
ठीक है कि कोई मुरव्वत नहीं होती,
पर मौत का कोई बहाना ठीक नहीं।
वह उठकर चला गया सज़दे के बीच में,
इबादतों में आये ज़माना, ठीक नहीं।
तुम कुराँ पढ़ो, हम प्रार्थनाएँ,चलो मिलके,
उसकी कॉल में धौंस जमाना, ठीक नहीं।
एक ही थाली में गम बाँट लें दोनों,
हर वक्त दुश्मनी निभाना, ठीक नहीं।