सो गया है आदमी
जानवर भी है परेशाँ आदमी की फितरतों से,
कौन जाने जानवर ही हो गया है आदमी!
रास्ते पर चल रहा है मखमली चेहरा लिए वह,
खुद ही खुद का पैरहन अब हो गया है आदमी!
ये शोहरतों का पेड़ उगाये बैठा है माथे पर,
इंसानियत की लाश में अब खो गया है आदमी!
रास्ते पर कल सुबह मारा गया एक राहगीर,
सेल्फियों के साथ, फोटो हो गया है आदमी!
खुदा जाने किस तरह से गुज़र होगा इस शहर में,
कान में ढक्कन लगा के सो गया है आदमी!