Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2024 · 1 min read

ठिठुरन

ये सिहरन
ठिठुरन यह
सिकुड़ते लोग
अहं की दहलीज
प्रेम प्यार से दूरी
इंसानियत के लिए
फंदे तो नहीं कहीं
मंथन नहीं
न ही मनन
कौन कहे मनुष्य,
शर्मसार मनुष्यता,
कहीं बलात्
कही छल कपट
बढ़ रहे सरपट,
रुकना था, रुके नहीं,
बढ़ना था, बढ़े नहीं,
छोड़े नहीं, पाखंड,
सहेज न पाये थे,
प्यासे थे,
भर लिया,
ऊपर तक पेट,
भर कर घट,
सब चट पट,
निष्ठा खुद में नहीं,
देते गौतम आकार,
प्रकृति को जाने बिन,
हिस्से मिले विकृति,
कैसे हो भले स्वीकृति,
मूढ़ मति बने आकृति,

Language: Hindi
414 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
Rekha khichi
राम तुम भी आओ न
राम तुम भी आओ न
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
अधरों के बैराग को,
अधरों के बैराग को,
sushil sarna
"प्रतिमा-स्थापना के बाद प्राण-प्रतिष्ठा" जितना आवश्यक है "कृ
*प्रणय*
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
Chaahat
*करिएगा सब प्रार्थना, हिंदीमय हो देश (कुंडलिया)*
*करिएगा सब प्रार्थना, हिंदीमय हो देश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
शिव प्रताप लोधी
" जंजीर "
Dr. Kishan tandon kranti
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
* सुखम् दुखम *
* सुखम् दुखम *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
2838.*पूर्णिका*
2838.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
10. जिंदगी से इश्क कर
10. जिंदगी से इश्क कर
Rajeev Dutta
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
Practice compassionate self-talk
Practice compassionate self-talk
पूर्वार्थ
"शौर्य"
Lohit Tamta
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
दीवाली शुभकामनाएं
दीवाली शुभकामनाएं
kumar Deepak "Mani"
* बिखर रही है चान्दनी *
* बिखर रही है चान्दनी *
surenderpal vaidya
आकांक्षाएं और नियति
आकांक्षाएं और नियति
Manisha Manjari
तेरा दीदार जब नहीं होता
तेरा दीदार जब नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
ज़िंदगी जीने के लिए है
ज़िंदगी जीने के लिए है
Meera Thakur
तन्हाई से सीखा मैंने
तन्हाई से सीखा मैंने
Mohan Pandey
Loading...