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23 Aug 2023 · 1 min read

ठिठुरता हुए गणतंत्र का चांद

ठिठुरता हुआ गणतंत्र भी चांद पर यान भेजता है और राष्ट्रभक्ति की चर्बी आंख पर चढ़ाकर जनता लोककथा की चिड़िया की तरह अपने शासक रूपी शिकारी के जाल में फंस जाती है, न फंसने का थोथा रटंत करते हुए!

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