ठहाका (कन्या जन्म पर मातम क्यों?)
अम्बे तू है जगदम्बे काली….
जय दुर्गे खप्पर वाली….
तेरे ही गुण गाए भारती….
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती….
नरेन्द्र चंचल की आवाज़ में माता का बेहद कर्णप्रिय भजन मन्दिर के लाऊड स्पीकर पर गूंज रहा है। आज नवरात्रि का अन्तिम दिवस है। अतः भण्डारा चल रहा है। कमोवेश यही स्थिति यत्र-तत्र-सर्वत्र हर राहों, चौराहों, घरों, मन्दिरों आदि अनेक स्थानों पर दीख पड़ रही है। ज़मीन ही नहीं भारतीय आकाश भी आज भजन-कीर्तन की आवाजों से गुंजायमान् था। माता का भक्त बना हुआ हर भारतीय “जय माता दी” बोलकर देवी दुर्गा का गुणगान कर रहा है। राजू गाइड और अमेरिकी पर्यटक जॉन ने भी मंदिर के पुजारी जी से श्रद्धापूर्वक टीका लगवाया तथा विधिवत माता का प्रसाद भी ग्रहण किया।
“जॉन साहब, भारत में माता के नौ रूपों की पूजा होती है,” मंदिर के सामने माता की मूर्ति को पुनः नमन करते हुए राजू गाइड ने अमेरिकन टूरिस्ट से अंग्रेज़ी में कहा और नवरात्रों का महत्व तथा माता के रूपों का विस्तार से वर्णन करने लगा।
“जी मैं आपसे सौ फ़ीसदी सहमत हूँ राजू गाइड।” अमेरिकी पर्यटक जॉन ने अपनी सहमति दर्शायी, “बताते रहिये, सुनने में अच्छा लग रहा है।” इस बीच राजू से माता के गुणों का बखान सुनते हुए जॉन अपने अत्य आधुनिक मोबाइल कैमरा से माता की छवियों को विविध कोणों से खींचने में मगन था।
“इतना ही नहीं साहब, यहाँ की सती स्त्रियों ने तो अपने तप के प्रभाव से यमराज के चंगुल से अपने पति के प्राण तक वापिस माँग लिए।” सामने देवी सावित्री की प्रतिमा को नमन करते हुए राजू गाइड बोला। साथ ही भैंसे पर बैठे यमराज की प्रतिमा भी बहुत आकर्षक लग रही थी। वह देवी सावित्री और यमराज से जुड़ी कहानियों को विस्तार से बताने लगा।
“ओह कितनी आकर्षक मूर्तियाँ है।” इस बीच जॉन ने कई कोणों से सावित्री यमराज की मूर्तियों के फ़ोटो खींचे।
“यहाँ गाय को गऊ माता कहा जाता है।” राजू को आज हिन्दू धर्म की सारी पौराणिक और महत्वपूर्ण कहानियाँ याद आने लगी। जिन्हें बेहद मनमोहक अन्दाज़ से राजू अपने अमेरिकी पर्यटक को सुना रहा था। यकायक उसे अपने हिन्दू होने पर गर्व महसूस हुआ। जॉन ‘हाँ…. हूँ।’ करता और फ़ोटो खींचता रहा।
“और तो और नदियों तक में यहाँ माता की छवि देखी जाती है। जैसे मोक्षदायनी गंगा मईया, यमुना, कृष्णा, कावेरी, गोदाम्बरी, गोमती आदि।” ऐसा कहते हुए राजू के चेहरे पर हिन्दुत्व का तेज झलक रहा था। जॉन मंत्रमुग्ध होकर उसे देख रहा था।
“भारत में ही विश्व का पहला अजूबा ताजमहल शाहजहाँ और मुमताज़ के अमर प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है।” इसके बाद भी राजू गाइड उस टूरिस्ट को हिन्दुस्तान की न जाने क्या-क्या खूबियाँ गिनाने लगा और ऐसा कहते वक़्त उसके चेहरे पर वही अति गर्व का भाव था।
“ज़रा रुकिए श्रीमान!” अपने हाथ के इशारे से राजू गाइड को रोकते हुए जॉन ने बड़ी गंभीरतापूर्वक कहा, “इतना सब कुछ होते हुए तुम्हारे यहाँ आज भी कन्या के जन्म पर फिर मातम क्यों मनाया जाता है…..?”
“प … प … पता नहीं साहब,” सिर खुजाते हुए राजू गाइड बड़ी मुश्किल से बोल पाया था और अगले ही पल उसके हिन्दू और हिंदुस्तानी होने का गौरव न जाने कहाँ गुम हो गया?
“रिलेक्स राजू गाइड तुम तो सीरियस हो गए, मै तो यूँ ही मज़ाक में पूछ रहा था,” कहकर जॉन ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया। साथ देने के लिए राजू भी हँसा, मगर उसका चेहरा उसकी हँसी में बाधक था।
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