दो पल मोहब्बत
१
पूनम की चांँदनी, खिलती रात की रानी,
करती यूंँ मदहोश, ठहर जा ऐ जवानी,
चंद लम्हें कर लूंँ मोहब्बत, इस जनम,
न जाने वक्त, बेवक्त गुजर जाए रवानी।
२
ऐ सपनों की रानी, तू यूंँ न मचल,
दे जरा संभलने, कहीं जाऊंँ न फिसल,
करने दे, दो पल मोहब्बत, सपने में सही, सपना टूटकर, बिखर जाए न ये पल।
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# रवानी = शीघ्रता से, धाराप्रवाह
मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)