ठग
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हर रोज कुछ समय आईने के सामने बैठकर विभिन मुद्राएं बनाते हुए बातचीत करें ,इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई बार बहुत कुछ पाने की होड़ में हम जो कुछ है उसे भी खो बैठते हैं ,अक्सर हमारी नजर दूर की चीजों पर जा टिकती है और इस क्रम में पास की चीजें कब करीब से निकल जाती हैं -पता ही नहीं चलता …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब आपका वक़्त आपके साथ हो और सफलता आपके कदम चूम रही हो तो लोगबाग आपके कशीदे पढ़ने में कमीं नहीं करते ,किन्तु जब समय आपके विपरीत होकर आपको असफलता का स्वाद चखाता है तो वही लोगबाग नहीं बल्कि गूंगे भी आपकी काबिलियत पर प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की दुनिया में दो ठग ऐसे हैं जो कब हमारी खुशियों को ठग लेते हैं हमें पता ही नहीं चलता ,एक ठग बीते कल का रोना और पछतावा है एवं दूसरा ठग कल क्या होगा -कैसे होगा -होगा की नहीं की चिंता है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान