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18 Mar 2020 · 2 min read

ठग वो भी है जो मनुष्य की व्यवस्था को ईश्वर की बताते हैं

किसी दूसरे ने गलत किया,
इसलिये हम सही हैं,
को जायज ठहरा कर,
काम करनेवाले भी,
#धार्मिक होते है #व्यंग्य.
.
किसी की गलतियों पर,
खुद को सुकून देने के लिये,
किसी व्यवस्था को कायम
रखने के लिये,
फलाँ फलाँ पंत/धर्म/सम्प्रदाय
मे भी तो ऐसा है.
जाति/वर्ण व्यवस्था को जिंदा
रखा जा रहा है.
.
निर्बल यानि दुर्बल को दबाना,
सदियों पुराना खेल है,
स्त्रियों का दमन
शूद्र वर्ण बनाकर,
पढ़ाई/सम्पत्ति/वेशभूषा/जीवनशैली
का दमन इस घिनौने खेल का हिस्से है.
.
आज जब नौकरियों में इतनी कमी है.
बेरोजगारी चरम पर है.
एकाध सामान्य वर्ग का बच्चा,
गर चपड़ासी लग भी गया,
वर्ण/जाति व्यवस्था को
इसलिये जायज ठहराना,
पद यानि कर्म-विभाजन
ब्राह्मण/क्षत्रिय/वैश्य/शूद्र जायज थे.

यह बात भी आरक्षित जातियां,
नये नये ठेकेदार
जिन्हें अपनी कौम के इतिहास तक नहीं मालूम .
आज धर्म और व्यवस्थाओं के रक्षक हैं.
किसी भी रियासत के राजा आज भी,
लोगों यानि जनता हित में फैसले नहीं,
अपने वजूद की लडाई लडते है.
.
उदाहरण चाहे कोई भी प्रदेश हो.
वंचित नहीं हैं,
बात आरक्षण एवं कांग्रेस पर आकर रुकती है,
रुके भी क्यों न गलतियां हुई है,
समयानुसार समाधान नहीं हुआ.
भूमिहर/संपदा रहित/शिक्षा/चिकित्सा से वंचित,
बहती गंगा में हाथ धो पाये,
.
अब गांधी की हत्या भी *जायज सिद्ध होगी,
सावरकर *वीर भी कहलायेंगे,
देश धर्म-निरपेक्ष नहीं,
सिर्फ़ हिन्दू राष्ट्र बनेगा,
जातियां फिर प्रभावी होंगी,
वर्ण-व्यवस्था को बल मिलेगा,
.
समस्त जगत हँसेगा,
हमारी मुद्रास्फीति से ध्यान हटे रहेगा,
सरकार मुफ्त इलाज/शिक्षा/नगर-योजनाओं की खिलाफत करेगी.
इसका श्रेय कर्ण/एकलव्य/बिरसा मुंडा/पेरियार/ज्योतिबाफुले-सावित्रीबाई फुले/बाबा-साहेब/कांशीराम
विनोबा भावे सबका अमिट इतिहास में योगदान प्ररेणाओं को धूमिल किया जायेगा,
.
एक अहीर, गुजर, जाट,मणिहार,खाती,धोबी आदमी पिछड़े/अन्य पिछड़े वर्ग
आज कहीं भी जाकर हुक्का/पानी पीकर समाज बनाया जा रहा है,

धानक/चमार/वाल्मीकि, मीणा, आदिवासियों के आंदोलनों से जोप्रतिनिधि निकलते है,
या जिस वजह से इनके प्रतिनिधित्व का बहाना करते है,
धोखेबाज है दगाबाज है,
सिर्फ़ सुख भोगते है,

प्रतिनिधित्व सिर्फ़ पद हासिल करने के लिए,
आरक्षण व्यवस्था खत्म होने में.
सवर्णों को नुकसान है.
वो तब है जब चयन प्रक्रिया में.
जाति/वर्ण का जुडाव उल्लेखित ना हो,
नाम के साथ उल्लेख हटाकर.
अल्फाबेट कोड से गुप्त रखा जाये.
.
सभी जातियों के नाम के आधार पर
सेनाओं में भर्ती रुके,
डोनेशन जैसी प्रथा हटे,
भले फिर प्रतिनिधित्व टूटे.
फायदे हो के नुकसान,

सबको एकसमान शिक्षा/चिकित्सा.
वैकल्पिक संपत्ति के बारे में…
To be continued….

वैद्य महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 1017 Views
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