ठगा नहीं
‘ऐसा कोइ सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं ‘
हल जो कर दे सब मसले वो हमारा नेता नहीं।
जब मसले ही नहीं होंगे तो पुछेगी जनता क्यों
वो सब ‘वो’ करे क्यों जो आज तक हुआ नहीं ।
हाँ करे वायदे सिर्फ़ और सिर्फ़ भुलाने के लिए
और हारने पे कहे,आपने तो हमें जिताया नहीं।
साम,दाम ,दंड ,भेद की नीति में रहे वो निपुण
ताकि कभी भी जाए उसके हाथों से सत्ता नहीं।
हो सत्ताधारी या फिर लीडर विपक्षी पार्टी का
मगर करे कभी कोई भी काम जनता का नहीं।
देखो अजय तुम्हारी गज़लें हैं बेहद बचकानी
इसलिए तो किसी पत्रिका में कभी छ्पा नहीं ।
-अजय प्रसाद