*ठगनी माया का क्या करना*
ठगनी माया का क्या करना
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प्रेम की दौलत मिल गई है,
ठगानी माया का क्या करना।
जीने को मंजिल मिल गई है,
मृत्यु – शैया का क्या करना।
काली चमड़ी मे सीरत सुंदर,
गौरी काया का क्या करना।
कड़ी धूप में मेहनतकश हम,
सघनी छाया का क्या करना।
जीवनस्तर ढीला है मनसीरत,
खेला खाया का क्या करना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)