” ठंडी ठंडी ठंडाई “
” ठंडी ठंडी ठंडाई ”
किसी को लगे सर्द मौसम अच्छा तो
किसी को लगे अच्छा मौसम गरम
मीनू को तो भाए ठंडी ठंडी ठंडाई
है सबकी अपनी अलग अलग पसंद,
जनवरी की हड्डी कंपाने वाली ठंड में
सभी जन का ही कांपता है तन बदन
लेकिन गोंद के लड्डू का स्वाद न्यारा
स्वत: ही फिर बढ़ने लग जाती है तपन,
लोहड़ी पर मूंगफली, गज्जक का लुत्फ
मकर संक्रान्ति पर बच्चों का हर्षाए मन
आग की अंगीठी में से निकलती लपटें
मधुर संगीत सुनाए चिमटे की खन खन,
नहीं कर सकती बयां मात्र कुछ शब्दों से
राज की गोद और सिकुड़ी कंपकंपाती रैन
लंबी रातों और लघु दिनों की लाल संध्या
पूनिया को अपार मिलता शांति और चैन।
Dr.Meenu Poonia