ट्रैफिक सेंस
मार्ग पर जब दो सवारों का संतुलन खो जाता है
तभी एक गंभीर आकस्मिक दुर्घटना का जन्म हो जाता है
असहनीय पीड़ा सहकर कभी कोई बच जाता है
कभी कोई बेगुनाह प्राण छोड़ने को विवश हो जाता है
क्यों खोते हैं सवार संतुलन यह प्रश्न दिमाग में आता है
कोई तीव्रगति में कोई ध्यान रहित होकर जब वाहन चलाता है
कोई नशे में चूर अथवा फ़ोन पर बातचीत में व्यस्त हो जाता है
तब वाहन चालिता से उसका ध्यान भंग हो जाता है
और कोई बेचारा दुर्घटनाग्रस्त होकर छटपटाता है
कोई किसी अन्य राहगीर अथवा सवार को रास्ता क्यों नहीं दे पाता है
क्यों पहले मैं जाऊं की मानसिकता का परित्याग नहीं कर पता है
अपने अपने क्रम में बढ़ने से क्यों कतराता है
किसी अनहोनी को होने से पहले ही क्यों नहीं रोक पाता है
सवार बनने से पूर्व यातायात नियमों को कंठस्थ करने से क्यों कोई घबडाता है
क्यों यातायात कानून के उल्लंघन की प्रक्रिया को दोहराता है
मार्ग यातायात विभाग हो ट्रैफिक पुलिस हो वाहन चालक हो या राहगीर
उचित उत्तरदायित्व निभाने में हर कोई क्यों पीछे रह जाता है