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9 Dec 2023 · 4 min read

ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं

ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं
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मेरी पहली पुस्तक “ट्रस्टीशिप विचार”दिसम्बर 1982 में प्रकाशित हुई थी । रामपुर के प्रसिद्ध आशु कवि श्री कल्याण कुमार जैन शशि जी ने अपने कर कमलों से राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय (टैगोर शिशु निकेतन) में इसका लोकार्पण किया था। यह गाँधीजी के ट्रस्टीशिप के विचार को प्रासंगिक मानते हुए उसके आधार पर समाज- रचना के उद्देश्य से लिखी गई थी। इसका एक आकर्षण श्री मोरारजी देसाई आदि उस समय के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से ट्रस्टीशिप के संबंध में माँगे गए मेरे विचार थे ,जो संभवतः बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र होने के कारण मुझे सरलता से प्राप्त हो सके।

1)सुप्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय बच्चन का पत्र

पुस्तक पर सुप्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय बच्चन की प्रतिक्रिया साधारण से पोस्टकार्ड पर मुझे बनारस में डॉक्टर भगवान दास छात्रावास के अपने कमरा नंबर 42 में डाक द्वारा प्राप्त हुई थी। मैं समझ ही नहीं पाया कि यह चिट्ठी किसकी है? फिर बहुत दिनों के बाद मैंने धर्मयुग(साप्ताहिक) में हरिवंशराय बच्चन जी की एक कविता पढ़ी और उस पर उनके हस्ताक्षर अंकित देखे ,तब मैं खुशी से उछल पड़ा कि अरे ! हिंदी के सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय कवि की सराहना से भरा आशीर्वाद मुझे सौभाग्य से प्राप्त हो गया है । बच्चन जी की हस्तलिपि इतनी कलात्मक थी कि वह आसानी से पढ़ने में नहीं आती थी । लेकिन फिर भी मेरे पास जो चिट्ठी आई , वह सरलता से पढ़ी जाने योग्य है।
पत्र इस प्रकार था:-

मुंबई 20- 1- 83
प्रिय श्री
ट्रस्टीशिप विचार की प्रति मिली। धन्यवाद। उपयोगी प्रकाशन है। आशा है, पुस्तक का स्वागत होगा। शुभकामनाएं
भवदीय
बच्चन
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2)श्री कैलाश जोशी का पत्र

एक पत्र श्री कैलाश जोशी का आया था जो बाद में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
आपका पत्र इस प्रकार था:-

कैलाश जोशी
प्रदेश अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश
दिनांक 19 – 1 – 83 संदर्भ संख्या 3253/ 23
प्रिय श्री रवि प्रकाश जी
नमस्कार । आपके द्वारा प्रेषित ट्रस्टीशिप विचार पुस्तिका प्राप्त हुई। अनेक धन्यवाद । महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित ट्रस्टीशिप का विचार अत्यंत उपयोगी और व्यावहारिक था। किंतु स्वाधीनता के बाद इस अवधि में जिस प्रकार का मानसिकता का विकास हुआ है और परिस्थितियों में जैसा परिवर्तन आया है, उसके कारण उसे ज्यों का त्यों लागू करना असंभव दिखाई देता है। किंतु यह भी सत्य है कि विगत वर्षों में समाजवाद के नाम पर जो कुछ हुआ है उसके कारण न केवल समस्याओं का समाधान हो सका है अपितु उसने हमारे आर्थिक चिंतन को और पेचीदा बना दिया है। इस कारण आज न्यूनाधिक रूप से वर्तमान व्यवस्था के प्रति सब सशंकित हैं और यह मानने लगे हैं कि यदि हमने आर्थिक खाई को पाटने का प्रयास नहीं किया तो स्थिति विस्फोटक बन सकती है। इस दिशा में चिंतन करने की आज अति आवश्यकता है। आशा है इसमें आपका प्रयास सहायक होगा। शेष कुशल
भवदीय
कैलाश जोशी
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3) श्री भगवान स्वरूप सक्सेना का पत्र

एक पत्र श्री भगवान स्वरूप सक्सेना का था , जो हिंदी के अच्छे कवि और लेखक के साथ – साथ बहुत ही शानदार वक्ता थे। तथा समारोह का संचालन करने में उनका कोई जवाब नहीं था । आपकी आवाज में जो गंभीरता और गूँज होती थी , वह मैंने फिर दोबारा नहीं सुनी । रामपुर में लंबे समय तक आप रहे और बाद में संभवतः बरेली में आखिरी दिनों में जाकर रहने लगे थे। आपका मुझ पर इस नाते और भी स्नेह था कि आप का गहरा संबंध मेरे पूज्य पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ के साथ रहा।
आपका पत्र इस प्रकार है:-
भगवान स्वरूप सक्सेना (डिप्टी डायरेक्टर रिटायर्ड, उत्तर प्रदेश स्टेट लॉटरी
लखनऊ 12-1- 83
निवास कमल कुटीर, ब्लंट स्क्वायर लखनऊ 226001 फोन 50756
प्रिय रवि
आप द्वारा लिखित ट्रस्टीशिप विचार पुस्तिका प्राप्त हुई। पुस्तक के भेजने के लिए धन्यवाद। मैं आपको इतनी सुंदर और ज्ञानवर्धक पुस्तक लिखने पर हार्दिक बधाई देता हूं । सेवानिवृत्ति के अवसर पर जो विदाई सम्मान दिया गया, उस संबंध में प्रकाशित एक पुस्तिका भी आपको संलग्न कर भेज रहा हूं। नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित
भवन्निष्ठ
भगवान स्वरूप सक्सेना
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4) श्री कुलभूषण भाटिया का पत्र

श्री कुलभूषण भाटिया का पत्र स्वर्गीय सतीश भाई साहब के कारण मुझे प्राप्त हो सका । श्री कुलभूषण भाटिया लायंस क्लब के उस समय डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे और सतीश भाई साहब लायंस क्लब के अत्यधिक सक्रिय व्यक्तित्व थे।
आपका पत्र इस प्रकार है:

लायन कुलभूषण भाटिया, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जिला 321 बी-2 लाइंस क्लब इंटरनेशनल
अप्सरा, पलटन बाजार, देहरादून 248 001
जनवरी 4 1983
प्रिय लायन सतीश अग्रवाल (अग्रवाल लॉज सिविल लाइंस रामपुर)
आपके द्वारा ट्रस्टीशिप शीर्षक से पुस्तक भेजने के लिए धन्यवाद जो कि श्री रवि प्रकाश द्वारा लिखित है।
केवल 22 वर्ष की आयु में रवि प्रकाश को ट्रस्टीशिप विषय पर सुंदर पुस्तक लिखने का श्रेय जाता है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में वह और भी उद्देश्य पूर्ण कार्य करेंगे। मैंने पुस्तक को गहरी रुचि के साथ पढ़ा है, और मुझे विश्वास है कि अन्य जो भी इसे पढ़ेंगे, मेरे ही समान पुस्तक में व्यक्त विचारों के प्रति प्रशंसा भाव रखेंगे। मुझे विश्वास है कि पुस्तक प्रभावशाली सिद्ध होगी।
आपका लायन कुलभूषण भाटिया
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निवेदक: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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