टोटका
टोटका
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आज जब मानव चाँद पर पहुँच
गया है,विज्ञान जीवन के हर क्षेत्र में दखल बना चुका है,आज विज्ञान और तकनीक के तालमेल ने मानव जीवन
में कदम कदम पर अपना प्रभुत्व जमा चुका है कि उसके बिना आज हम अपने जीवन की कल्पना करना कठिन है।
इसके बावजूद आज भी मानव टोना, टोटका,जादू ,भूत-प्रेत,झाड़ फूंक के चंगुल से निकल नहीं पा रहे हैं।शिक्षा के बढ़ते वर्चस्व के बावजूद हम अपने आप को कहीं न कहीं इस चक्रव्यूह से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं।
प्रचार प्रसार की तमाम कोशिशों के
बाद भी हमारी आँखों की पट्टी जैसे जम सी गई है।बहुत बार इसका दुष्प्रभाव भी देखने को मिलता रहता है,फिर भी मानव भ्रम का शिकार होने से मुक्त नहीं हो पा रहा है।ये भी कहा जा सकता है कि मानव अपनी पीड़ा के कारण भी ऐसा करने को विवश होता रहता है।
सबकुछ जानते हुए भी मानव धन धर्म परिवार को खोने का भी दंश झेलने के बाद भी भ्रम की पट्टी उतार नहीं पा रहा है और लगता है कि ऐसा अनवरत चलता रहेगा।
✍सुधीर श्रीवास्तव