टॉलेमी के सच्चे वंशज
#टॉलेमी_के_सच्चे_वंशज
टूटते तारों के विषय में वैज्ञानिक कारण जो भी हो उसमें हमारा कोई इंटरेस्ट नहीं है उससे हमें कोई लेना देना नहीं,, साहब, हमारी मुर्गी की तो तीन टाँग है और तीन तब तक रहेगी जब तक किसी शाम हम एक टांग को बतौर चखना नहीं डकार जाते हैं ,,,
टूटते तारे को लेकर दुनिया भर में तमाम तरह की भ्रांतियां, अवधारणाएं और कपोल कल्पित कहानियाँ प्रचलित हैं, किसी देश में इसे शुभ तो कहीं इसे अशुभ माना जाता है ,,, मतबल जितनी मुँह उतनी बातें नहीं ,,,, जितने देश उतनी बातें ,,,
जनाब हम ठहरे भारतीय वो भी ठेठ वाले तो कहानी किसी भी विषय की हो अव्वल तो अपनी ही होगी, क्योंकि हमें तो बचपन में ही स्वास्थ्य संबंधी टीकों(वैक्सीन) के साथ एक टीका जुगाड़ का(अपना काम किसी और से करवाने के हुनर का) लगवा दिया जाता है ..
और जिंदगी भर हम अपने दोस्त यार नाते रिश्तेदारों से इस जुगाड़ नामक मन्त्र से अपने wish पुरे करते रहते हैं और यदि कभी इनके बूते से बाहर का कोई काम रहा तो एक दूसरा जुगाड़ भी हमारे पास 24 X 7 उपलब्ध है, जिन्हें भगवान् के नाम से जाना जाता है जुगाड़ू भक्तों द्वारा इन्हें रिश्वत देकर अपना काम निकालने की परंपरा आदिकालीन रही है ,,,(ये जुगाड़ काम भी करता है मैंने एक बार क्रिकेट मैच के दौरान इंडिया को हार से बचाने के लिए आजमाया था लेकिन कब करेगा कब नहीं इसका दावा मैं क्या कोई भी नहीं कर सकता),,, और यदि आपके पास रिश्वत के लिए भी कुछ नहीं है तो निराश मत होईये एक और जुगाड़ है, #टूटते_तारे हाँ ये बात और है कि इसमें कई रात जागना पड़ता है टकटकी लगाए आसमान को रात भर ताकना भी पड़ता है और एक कुशल बल्लेबाज़ की तरह टूटते तारे को देख आँख बंद कर टाइमिंग से WISH(मन्नत) का सिक्सर लगाना पड़ता है वो भी बावंसर पर क्योंकि ये गेंद कभी फुलटॉस या ओवर पिच नहीं मिलती ,,,
और यह #टूटते_तारे नामक जुगाड़ हमें प्राप्त हुआ है ग्रीक खगोलविद टोलेमी से जिन्होंने दूसरी सदी में एक अनोखा सिद्धांत पेश किया था कि ,,, आसमान में अपनी अलग दुनिया में विराजे देवता कभी-कभी उत्सुकता या फिर बोरियत के चलते हम मनुष्यों के संसार यानी पृथ्वी पर निगाह डाल देते हैं। इस दौरान दोनों लोकों के बीच का झरोखा कुछ पल के लिए खुल जाने की वजह से वहां के कुछ तारे गिरकर धरती की ओर आने लगते हैं। चूंकि यही वह वक्त होता है, जब देवताओं की नजरें हमारे लोक पर और हम पर इनायत होती हैं, सो इस क्षण में मांगी जाने वाली Wish(मन्नत) की उन तक पहुंचने और पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है ,,
आज इक्कीसवीं सदी में इस सिद्धांत पर किस देश के लोग कितना ऐतबार करते हैं नहीं मालूम लेकिन दावे के साथ यह कह सकता हूँ सबसे ज्यादा ऐतबार हम भारतीय ही करते हैं वजह आपको भी मालूम है हुज़ूर,,, वही अपना काम किसी और से कराने का विरासत में प्राप्त नैसर्गिक गुण ,,
लेकिन Wish(मन्नत) मांगने और उसमें शत प्रतिशत सफलता प्राप्त करने का रिकार्ड तो हमारे बॉलीवुड वालों का है ,,, भले ही फिल्म असफल हो गयी हो लेकिन फिल्म में टूटते तारे को देख कर मांगी गयी मन्नत किसी भी फिल्म में असफल नहीं हुई ,,, सचमुच इस लिहाज से कहें तो हमारे बॉलीवुड वाले ही टॉलेमी के सच्चे वंशज हैं ..!!!
#जितेन्द्र_जीत