टूटे हुए ख्वाब ….
अपने हर ख्वाब को टूटते हुए मैने देखा है,
चेहरों के पीछे छुपी हकीक़त को देखा है ।
गुनाह चाहे किसी ने भी क्यों ना किये हों ,
मगर सर सिर्फ अपना ही झुकता देखा है।
जिससे भी की उम्मीद वफ़ा और प्यार की,
यकीं मानो!उसे ही नजरें फेरते मैने देखा है।
होते होंगे कुछ खुशनसीबों पर खुदा के करम,
मैने तो उसे बस मुझ पर सितम करते देखा है।
उफ़ ! यह बेशुमार गम औ बेमतलब सी जिंदगी ,
अपने ही अरमानो को दफ़न होते मैंने देखा है।
इस पर भी रफ़ीक कहते है खुश रहो,मुस्कराओ,
हालातों पर रोने से क्या कोई गम गलत होता है !
“अनु” क्या सुनाए अब हाल ए दिल अपना उनको ,
यह तो जिसपर गुजरती है उसे ही पता होता है ।