*टूटे दिल को दवा दीजिए*
टूटे दिल को दवा दीजिए
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टूटे दिल को दवा दीजिए,
अपने मन में बसा लीजिए।
तन – मन में रचा इस कदर,
बस जीने की दुआ कीजिए।
रहना हरगिज नहीं लाजिमी,
बिछड़ीन रूहें मिला दीजिए।
जिंदा मुमकिन नहीं ए हिना,
यूँ साँसों में बसा लीजिए।
घटते – घटते घटे तम तमस,
बुझता दीपक जला दीजिए।
मनसीरत है कली अनखिली,
उपवन उर का खिला दीजिए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)