टूटी हुई कलम को
टूटी हुई कलम को
त्रुटि लिए शब्दों को
अशुद्ध व्याकरण को
बिखरे मन के भाव को
मत रौंदना कभी टुटे फूटे काव्य को
यही इतिहास की सच्ची गवाहि है
बाकी हमने राज्यों की चाटुकारिता पाई है
पूँजी वाद, पद, सम्मान की करी बडाई है
इतिहास की नीव टूटी कलम से बच पाई है
हा हा मत रोको इन कलम को
टूटी, त्रुटि, अशुद्ध ही सही
इतिहास की नीव तो दिखाई है
अनिल चौबिसा
9829246588