टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं। टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं। तप्त तवा पर ज़िन्दगी को सेकती हूँ मैं।। -लक्ष्मी सिंह