Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2024 · 1 min read

टूटते सितारे से

टूटते सितारे से
मांग लूंगा तुम्हे
मांग लूंगा तुम्हारी हथेलियों की
गुनगुनी छुहन
तुम्हारी गहरी कजरारी आंखों सी
प्रेम की गहनता
तुम्हारी देह की संदली खुशबु
तुम्हारी मरमरी बाहों में
स्वर्ग सा सुख

हिमांशु Kulshrestha

39 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बोल के लब आजाद है
बोल के लब आजाद है
Desert fellow Rakesh
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बाघ संरक्षण
बाघ संरक्षण
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल _ ज़िंदगी भर सभी से अदावत रही ।
ग़ज़ल _ ज़िंदगी भर सभी से अदावत रही ।
Neelofar Khan
*दो नैन-नशीले नशियाये*
*दो नैन-नशीले नशियाये*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
Rj Anand Prajapati
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
कृष्णकांत गुर्जर
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
करके  जो  गुनाहों  को
करके जो गुनाहों को
Dr fauzia Naseem shad
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
पूर्वार्थ
"आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान"
Lohit Tamta
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
🙅नया सुझाव🙅
🙅नया सुझाव🙅
*प्रणय प्रभात*
संसार एवं संस्कृति
संसार एवं संस्कृति
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
221/2121/1221/212
221/2121/1221/212
सत्य कुमार प्रेमी
कदीमी याद
कदीमी याद
Sangeeta Beniwal
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
पंकज परिंदा
"प्रार्थना"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम नहीं!
तुम नहीं!
Anu Kumari Singh
*मैं और मेरी चाय*
*मैं और मेरी चाय*
sudhir kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
SPK Sachin Lodhi
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
Ranjeet kumar patre
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
आंदोलन की जरूरत क्यों है
आंदोलन की जरूरत क्यों है
नेताम आर सी
3218.*पूर्णिका*
3218.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...