टूटता तारा
आसमान में चमक दमक थी, रात में टूट गिरा एक तारा,
तुमने भी गिरता देखा होगा, ना जाने क्यों हुआ न्यारा,
कहां गिरा धरती पर आकर, जंगल जीव वहां होंगे,
शायद जलकर धंसा जमीन में, कहीं अवशेष पड़े होंगे,
एलियन के रूप में बनकर, शायद आया वही तारा है,
भाषा रूप अलग है इसके, देखन में अजब दुलारा है,
इतिहास उम्र की खोज नहीं, कब से चमकाए इस का प्रकाश,
शायद रचना तभी बनी हो, जब से रचा गया आकाश
,
चोला छोड़ के सच्चे संता, शायद बनते हो तारा,
साची राह में दिखाते चमक, संदेश करते सबको प्यारा |