टुकुर टुकुर ताकै छी।
टुकुर टुकुर ताकै छी।
रंग रुप निहारैत छी।।
चेतन छी आ कि अचेतन छी,
इहो नहि किछ जानै छी।
अहीं पर नजर गराओल छी।।
कखनहु नजरक बाण चलबै छी।
कखनहु केस झटकाबैत छी।।
इ अहीं जेना करेज पर तीर चलबैत अछि।
रुप रंगक दर्शन संग संग प्रेमक पाठ पढ़ाबैत अछि।।
पायलक झंनक, आ चुड़ीक खनक
अपन प्रेमी केँ बहकाबैत अछि।।
तनियो टा तऽ धेआन धरु
एना नहि श्रृंगार करु।।
— सुशान्त