टुकड़े टुकड़े गैंग (गीतिका)
टुकड़े टुकड़े गैंग (गीतिका)
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(1)
सोचो कौन कहाँ से आता, टुकड़े टुकड़े गैंग
जिसको भारत कभी न भाता, टुकड़े- टुकड़े गैंग
(2)
सीएए है मरहम देश विभाजन के जख्मों पर
रोड़े इसमें भी अटकाता, टुकड़े-टुकड़े गैंग
(3)
दफा तीन सौ सत्तर के हटने से भारत खुश है
मातम लेकिन रोज मनाता ,टुकड़े-टुकड़े गैंग
(4)
असहिष्णुता हवा में नारा इसने सिर्फ उछाला
यह अवार्ड वापस लौटाता, टुकड़े-टुकड़े गैंग
(5)
यह देखो यह हैं अधेड़ जो होस्टल में रहते हैं
इनसे ही नारे लगवाता , टुकड़े – टुकड़े गैंग
(6)
सुख सुविधाएं पुरस्कार पद लड्डू दो हाथों में
छिनते हैं तो शोर मचाता , टुकड़े- टुकड़े गैंग
(7)
इन्हें शांति के पथ पर बढ़ता देश न अच्छा लगता
इसीलिए हिंसा भड़काता, टुकड़े-टुकड़े गैंग
(8)
निर्वाचित सरकार अराजकता से इन्हें हटाना
सोचो किसका पैसा खाता, टुकड़े-टुकड़े गैंग
(9)
लौह पुरुष का देश हमारा बँटने कभी न पाता
चाहे जितना जोर लगाता, टुकड़े-टुकड़े गैंग
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रचयिता : रविप्रकाश ,बाजार सर्राफा,रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451