टीस
कैसे छेड़े राग सुरीला समय बड़ा जहरीला प्रिए।
भाईचारा हुआ तिरोहित मानवता शर्मसार प्रिए।।
अमन चैन से रहने वाले आंख तरेरे बैठे हैं।
शमशीरों को म्यानों से बाहर रखकर बैठे हैं।।
पत्थर से जिनको पीटा है वो भी तो हैं अपने प्रिए।
ध्वज एक है लहू एक है भारत का नक्शा भी एक है।
दूर हिमालय की चोटी तक भारत का विस्तार एक है।।
भारत के कुछ गद्दारों को कैंसे मुआफ हम करें प्रिय।
राह दिखाने वाले जब ही शूल बिछाएं राहों में।।
ना समझो को बहकाकर पत्थर रखते हाथों में।
इन अनहोनी घटनाओं का कुछ ना कुछ है राज प्रिए।।
गीता कुरान गुरुग्रंथ बाइबिल नेकी की हैं राह दिखाते।
वंदे इनकी शपथ उठाकर रोज नए षडयंत्र चलाते।।
अपना दुखड़ा किसे सुनाएं टीस बहुत है दिल में प्रिए।
उमेश मेहरा (शिक्षक)
गाडरवारा ( m,p,)