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डा . अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
टिप् टिप् ( बाल गीत )
टिप् टिप् बरसा पानी
तेरी नानी हुई मस्तानी
तेरे नाना गये परदेस
लगा कर जिया में ऐसी ठेस
के कंचे बिखर गए
के कंचे बिखर गए
चुटिया खोली चुनरी ले ली
पहन के सीधी सादी धोती
निकल पडी वो बिन छाते के
भीगे विमल विमेश के
कंचे बिखर गए
भीगे विमल विमेश के
कंचे बिखर गए
लालु भागे कालु भागे
संग में भागे राजू
लालु भागे कालु भागे
संग में भागे राजू
रपट पडी गर बीच सडक पर
होगा बडा कलेश रे
भैय्या होगा बडा कलेश
टिप् टिप् बरसा पानी
तेरी नानी हुई मस्तानी
तेरे नाना गये परदेस
लगा कर जिया में ऐसी ठेस
के कंचे बिखर गए
के कंचे बिखर गए
नाना को सन्देस भिजाया
फोरन आओ ये कहलाया
नाना को सन्देस भिजाया
फोरन आओ ये कहलाया
होट लायिन पर बात कराई
बोले बिजिनेस में नहीं ब्रेक
अभी तो लगेंगे दिन
एक नहीं रे अनेक
के कंचे बिखर गए
के कंचे बिखर गए
टिप् टिप् बरसा पानी
तेरी नानी हुई मस्तानी
तेरे नाना गये परदेस
लगा कर जिया में ऐसी ठेस
के कंचे बिखर गए
के कंचे बिखर गए