टिके बैठे हो
जब तुम होते हो मेरे पास तो मै कहता हूं,
ए वक़्त ठहर जाओ क्यों बहते हो ।
जब तुम चले जाते हो तो लगता है,
वक़्त तुम गुजर क्यूं नही जाते क्यों बैठे हो ।
रोज रोज तेरा जाना जरूरी है क्यो, ये पूंछ लेता मगर
तेरे साथ भूल जाता हूँ खुद को तो कोई सवाल कैसे हो ।
साथ भी ऐसा कि सांस और धड़कन सा,
एक न हो दूजा मिराज जैसे हो ।
मैं कितना भी दूर चला जाऊं लगता है कोई पीछे है,
तुम हो कि साया या साये भी तुम जैसे हो ।
वक़्त से धीमा जहर कोई नही, ऐसा लगता है मुझे,
बेअसर वक़्त है जब तक मेरे दिल से टिके बैठे हो।
मिराज: मृगतृष्णा