टाई माने रस्सी । (एकटा हास्य कथा)
टाई माने रस्सी ।
(एकटा हास्य कथा)
ओना त रस्सी जीवन मे बड्ड उपयोगी होइत छैक। गरीब लोक लेल त आओर बेसी टाट फरक बन्है स लके घर छारै माल जाल बन्है सँ ले के खोपड़ी बन्है तक। मुदा जखन इह रस्सी गाराक फाँस भए जायत अछि तखने लोक बुझहैत अछि रस्सीक महिमा। जेकर गारा फँसैत अछि वैह बैझहैत अछि जे कि भाव पड़ैत छैक। आई एहने चक्करफाँस मे फँसल अधमरू भेल रंजन बजलाह। हम पुछलियैन जे कहू टाई माने कथी वो बजलाह रस्सी।
एक दिन भिंसरे भिसंरे रंजन फोन केलैन किशन अहाँ के त जे ने से रहता है । हम ओंघाएले रही मोन त भेल जे खूम जोर सँ गारि परही मुदा ज्येष्ट भ्राता के गारि कोना परिहतौ तहि दुआरे कुशल छेमक गप भेलाक बाद रंजन फेर बजलाह हमरा कहिया से सासुर जाइ लेल मोन छटपटा रहा है आ अहाँ कोनो ओरियाने नहि करता है। हम बजलहुँ भैया अहा मंगरौना आउ ने सब ओरियान एक्के मिनट मे हो जाएगा। ई सुनि ओ हरबराएल बजलाह अच्छा किशन हम एक हप्ता बाद गाम आबि रहा है। हम कहलियैन ठिक छैक आ फोन राखि के नित क्रिया मे लागि गेलहुँ।
हमरे पितियौत भाए छथि रंजन पूणे विश्वविद्यालय सँ इंजीनियरिंग केने रहैथ। परदेश मे जनम आ ओतए प्रारंभिक शिक्षा सँ उच्च शिक्षा धरि पढ़लाह। एकदम शहरी ठाठ बाठ मैथिलक कोनो दरश नहि हुनका अंग्रेजी मराठी बेसी बजैत छलाह। ओना त हमरो जनम परदेश मे भेल मुदा गाम आबि मैथिली सीखि गेलहुँ। हमरा जतबाक स्नेह अपना माटि पानि स रंजन के ततबेक बेसी अलगाव एहि सँ। हमर कक्का बच्चा बाबू के केंद्रिय विद्यालय मे प्राचार्य रहैथ तहि दुआरे परदेश मे धिया पूता के पढौलैन। ओ मैथिली बजैत जहि सँ रंजनो कने मने मैथिली बुझहैत बाजल त तेरहे बाइस होइत रहैन। बच्चा बाबू के केंद्रिय विद्यालय मे नोकरी भेलैन त कहियो घूरि के मंगरौना नहि एलाह। एबो कोना करितैथ ओ सभ पूर्णिया मे जगह जमीन किनी बसि गेल रहैथ। हुनका घियो पूतो के गाम घर सँ कोनेा मतलब नहि एकदम अनचिनहार रहैथ ओ सभ। रंजन कोनो अमेरिकी कंपनी मे सॉफटवेयर इंजीनियर रहैथ तहि दुआरे हमरा कक्का के मोन गद गद । संयोग सँ हुनकर बियाह दरभंगा जिलाक मब्बी गाम मे भेल। लड़की शिक्षामित्र के नोकरी मे रहथिहिन आ हमरा भैयाक ससुर सेहो प्रखणड कृषि पदाधिकारी रहैथ। तहि दुआरे मोन माफिक लेबो देबो भेलैक। लड़की वला सेहो एहि कुटमैति सँ खूम प्रसन्न रहैथ तहि दुआरे चैनो उड़ल पर दस लाख गनने रहैथ मुदा बियाहक बाद जमाई के सासुर बजौताह से बिसैर गेल रहैथ। एम्हर रंजन सासुर जाइ लेल छटपरटाइत रहैथ मुदा गाम घरक भांज भुज हुनका एकदम नहि बुझहल तहि दुआरे ओ हमरा डेनवाह बनौलैन।
ठीक सातम दिन सात बजे सांझ मे रंजन हमरा गाम मंगरौना अएलाह सूट बूट टाई पहिरने कियो हुनका चिनहैथ नहि। गामक कतेक लोक स पूछैत पूछैत ओ हमरा दरवज्जा पर अएलाह। एम्हर हम गाछि कात स धनरोपनी कए के आएल रहि कि हुनका देखैत मातर स्नेह बस भरि पाज के गारा मिलान केलौह मुदा रंजन रूष्ट होइत बजलाह अहा हमरा टाई मे मिट्टी लगा दिया आब हम सासुर कोना जाएगा। हुनका खिसियाअैत देखि हम बजलहुँ अहा चिन्ता किएक करता है हमरो लग टाई है ओहि सँ अहाँ के काम हो जाएगा। ई सुनि ओ खुशि स मोने मोन नाचए लगलाह जे टाई पहिर के जाएब त सासुर मे खूम मान दान होएत। कुशल छेमक गप भेलाक बाद दुनू गटे हाथ मुँह धो के बैसलहुँ त माए हमर खाना परोसलीह। भोजन भात कए के राति मे विश्राम केलहुँ। दोसर दिन भिंसरे पहर फटफटीया पर बैसी क हम आ रंजन हुनकर सासुर मब्बी जाई लेल बिदा भेलहुँ। हम फटफटिया चलबै मे अपस्यांत रहि मुदा रंजन टाई समहारै मे फिरिशान रहैथ। पछिया हबा खूम जोर सँ बहैत जहाँ बलुआहा बान्ह लक पहुचलहुँ की ठक्कन भेंट भए गेलाह आ रंजन के देखि बजलाह अहाँक गारा महक रस्सी उधिया रहल अछि बान्हि लियअ नहि त उरिया जाएत। ई सुनि रंजन डरे टाई मे क्लीप लगा लेलैन आ किछु नहि बजलाह। ठक्कन हमरा पुछलैन यौ किशन इ अनठिया के छथि आ एतेक थाल खिचार मे कतए जा रहल छी। हम हुनका कहलियैन हिनका नहि चिन्हलियैन हमरे पूण्रिया वला पितिऔत भाए छथि। एखन हिनके सासुर मब्बी जा रहल छी। ठक्कन बजलाह से त ठीक मुदा कहु त गारा मे एतेक टा रस्सी बन्हबाक कोन काज ज कोनो खूरलूच्ची धिया पूता रस्सी बूझहि एकरा घिची देतै त लगले प्राण सेहो छुटि जेतैन। हम बजलहुँ यौ महराज इ टाई पहिरने छथि रस्सी नहि। ओ बजलाह धू जी महराज गाम घरक लोक त एहि टाई के रस्सीए बुझहत ने बेस जाउ सासुर अहुँ बुझिए जेबै जे टाई माने कथि हम बजलहुँ रस्सी।
ठीक 2 बजे दुपहर मे हम आ रंजन मब्बी पहुचलहुँ ओतए पहुचलाह पर आगत बात भेल मुदा सभ घुरि घुरि के हमरे दिस तकैत किएक त हम धोति कुर्ता पहिरने रहि कतेक के हम अनठिया लगियै किएक त पहिल बेर भैयाक सासुर मब्बी आएल रही। रंजनक बियाह मे हमर कक्का नहि बजौलैन त बियाह मे नहि आएल रहि। एकटा बुरहि दाए बजलीह इ के छेथहिन डेनवाह हम बजलहुँ सेह बुझियौअ। ताबैत मे रंजन के सारि नीलू अनिला सोनम सभ गोटे हेंर बान्हि के हँसि मजाक करै लेल एलीह। नीलू बजलीह डूल्हा की हाल चाल अछि त रंजन हसैत बजलाह हाल ठीक नहि है सौंसे देह मे खूम थाल लग गया। एतबाक मे अनिला टाई छुबि बजलीह यौ पाहुन इ कोन अंगरेजिया आंगि अछि। ओकरा हाथ मे माटि सेहो लागल रहै वैह कादो वला माटि टाई मे लागि गेलै। टाई मे माटि लागल देखि रंजन के मोन भिन्न भिना गेलैन आ तामसे अघोर भेल बजलाह हम अखने चलि जाएगा आब। नीलू बजलीह पाहुन अहाँ एतेक दिन बाद सासु अएलहुँ त अहाँ के आई रहैए परत। अहाँ नहि रहब त हम सौँसे देह आ मुहे मे माटि लगा देगा। ई सुनि रंजन सकपक्का गेलाह हम चुपचाप सभठा गप सुनैत रही। खान पिअन भेलाक बाद राति मे ओतए रहलहुँ मुदा रंजन के आपिस पूर्णिया अबै के रहैन तहि दुआरे भिंसरे पहिर मब्बी स बिदा भेलहुँ। हम दलान पर सुतलै रहि भिंसरे पहर मैदान दिस स आबि मुहँ हाथ धो के तैयार रहि। मुदा शहरी बाबू रंजन के नीन 7 बजे टूटलैन सेहो हम अंगना जा के हरबरौलियैन तखन उठलाह आ हरबड़ी मे ब्रश केलैन आ तकरा बाद दुनू गोटे जलखै कए बिदा भेलहुँ मेघौन सेहो लागल रहैक। रस्ता पेरा गुफ अनहार लगैत बरखा सेहो भेल रहैए थाल खिचार सेहो रहैए। सभ स बिदा लैत सासुर स बिदा भेले रही फटफटिया स्टार्ट केने रही रंजन बैसी गेलाह की ताबैत मे केम्हरो स रंजन के छोटकी सारि सोनम दौगल अएलीह यौ पाहुन अहा के एटाइची त छुटिए गेल। ओ बजैत आ दौगल अबैत रहै जहाँ गाड़ि लक पहुँचल की धरफरी मे ओकर पाएर पिछैर गेलैए आ अछैर पिछैर के खसैए लगलै आ हरबरी मे टाई पकरा गेलैए। टाई ततेक जोर स घिचेलैए कि रंजन फटफटिया पर स धबाक दिस खसि परलाह ततेक जोर स पंजरा मे चोट लगलैन जे कुहैर उठलाह । एम्हर हमरा हँसी स रहल ने गेल। रंजन कुहरैत बजलाह हमरा एतेक चोट लगा कि देह टूट गया आ अहाँ खाली हँसने मे लगा है। अहाँ किछ करेगा की नहि। हम बजलहुँ करेगा त एक्के मिनट मे मुदा पहिले ई कहिए टाई माने कथि। रंजन कुहरैत बजलाह किशन अहा ठीके कहता था गाम घर मे टाई माने रस्सी।
लेखक:- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)