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23 Oct 2024 · 1 min read

टमाटर के

जागे जबसे भाग टमाटर के
बदल गए सुर- राग टमाटर के

हुआ बँटवारा तरकारी मंत्रालय
का ज़ब ,
हुए सारे अहम विभाग टमाटर के

भंग पिए आई जबसे है मँहगाई
हुए रंगों वाले फाग टमाटर के

कुम्भ के सम है सब्जी के संगम
उसमें भी प्रयाग टमाटर के

मुमकिन है के हमको भी मिल जाए,
देखें है भोर में मैंने सुंदर खाब टमाटर के

कांटे मयस्सर हो रहे और मिल रही पत्ती,
हुए जबसे इजहार – ए – गुलाब टमाटर के

रंगहीन आलू के भी हैं भाव चढ़े,
होना चाह रहें हैं अब तो साग टमाटर के

-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: गीत
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