टपकेगी जब आरजू
टपकेगी जब आरजू, नैनो से बन बूंद !
लेना ही तब ठीक है,आँखे अपनी मूंद !!
जीना सीखा भी नही,हमने अभी रमेश !
मरने का देने लगे, वो हमको उपदेश !!
सच्चाई होती नही,…दरिया को स्वीकार !
मैने उसको कर लिया,सही सलामत पार !!
रमेश शर्मा.
टपकेगी जब आरजू, नैनो से बन बूंद !
लेना ही तब ठीक है,आँखे अपनी मूंद !!
जीना सीखा भी नही,हमने अभी रमेश !
मरने का देने लगे, वो हमको उपदेश !!
सच्चाई होती नही,…दरिया को स्वीकार !
मैने उसको कर लिया,सही सलामत पार !!
रमेश शर्मा.