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9 Mar 2019 · 2 min read

टपकती छत

‘ क्या हाल है ? दयाल बाबू , रतन गुप्ता ने खैनी मलते हुए पूछा | रतन गुप्ता गांव का सेठ था जो जरूरतमंद लोगों को उधार पर पैसा देता था और फिर उस पर ब्याज लगाकर दोगुनी रकम वसूल करता था | ‘ सब ठीक है रलन बाबू , दयाल बाबू ने जबाब दिया |
घर आइए कुछ चाय पानी हो जाए ,
नहीं नहीं… अभी नहीं , दयाल बाबू जरा जल्दी में हूं बाद में चाय पी लूंगा |
दयाल बाबू के प्रस्ताव का खंडन करता हुआ रतन गुप्ता अपने रास्ते चला गया |
रात को खाने की टेबल पर रूपमती ने बताया – ‘ घर की छत टपक रही है ‘ जब जब बरसात होती है घर का सारा फर्श गीला हो जाता है | मरम्मत करवाने की जरूरत है | ‘ रूपमती , दयाल बाबू की पत्नी हैं और दयाल बाबू के इकलौते बेटे की मां | घर की मरम्मत करवाने वाली बात पर दयाल बाबू ने बिना कुछ कहे हां में सिर हिला दिया | दरअसल दयाल बाबू पत्नी से सच नहीं कह पाये |

बात यह हुई थी कि आज से 1 बरस पहले शहर से दयाल बाबू के नाम श्याम की एक चिट्ठी आई थी | चिट्ठी में लिखा था – पापा मैं बीमार हूं , इस वक्त मेरे पास इलाज कराने के पैसे नहीं है पैसों का कोई और इंतजाम नहीं हो पा रहा है और डॉक्टर बिना पैसों के मेरा इलाज नहीं कर रहे हैं | यदि आप किसी तरह से ₹50000 मेरे पास भेज देते तो मैं अपना इलाज करा लेता | ‘ श्याम , दयाल बाबू का इकलौता बेटा है , शहर में रहता है , वही शादी भी कर ली है | जैसे ही दयाल बाबू ने चिट्ठी में बेटे की बीमारी के बारे में पढ़ा अपनी सारी जमा-पूंजी निकाल ली लेकिन फिर भी ₹50000 में अभी भी ₹20000 कम पड़ रहे थे तो उस वक्त उन्होंने रतन गुप्ता से पैसे लेकर बेटे को मनीआर्डर कर दिया | रूपमती को इस चिट्ठी और रतन गुप्ता से लिए उधार के बारे में दयाल बाबू ने कुछ भी नहीं बताया Kick कर्ज और बेटे की बीमारी के बारे में जानकारी वह परेशान हो जाएगी |

तब से लेकर आज उस बात को 1 बरस बीत गया बेटे की ना तो खैरियत की जानकारी देने वाली कोई चिट्ठी आई है और ना अब तक कर्ज वापसी के लिए दयाल बाबू के बेटे से मदद के जबाब कि कोई चिट्ठी आई | रतन गुप्ता दयाल बाबू को जब भी कहीं देखता है इसी तरह से हाल-चाल पूछ कर इशारों में पैसे मांगता है और ताने मार कर चला जाता है |

Language: Hindi
1 Like · 349 Views
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