Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Mar 2023 · 3 min read

आजादी का “अमृत महोत्सव”

पक्षियां खुले आसमान में जो स्वतंत्रता महसूस करती है, हम उन्हें किसी पिंजरे में कैद कर दे, तब उसकी निजी स्वतंत्रता कैसे क्षीण होती है? उनके जीवन शैली पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस बात को उन पंंक्षियो से ज्यादा कोई और नहीं समझ सकता। हर किसी को अपनी मातृभूमि और आजादी प्यारी होती है। कभी स्वाधीनता और स्वाभिमान के विषय में फुर्सत से बैठकर सोचें, कि कोई देश आजादी के लिए क्यों संघर्ष करता है? तो इस सवाल का सीधा सा जवाब यही होगा, कि हमारे साथ अपने ही घर में नौकरों जैसा व्यवहार (बर्ताव) किया जाए या फिर नौकर का भी सम्मान न मिले, तो उस समय हमारा मनोवृत्ति क्या होगी? हमें इस सवाल का जवाब जानने के लिए किसी के उत्तर की शायद जरूर न पड़े। स्वतंत्रता और परतंत्रता को जानवर भी भाली-भांति महसूस करते है। हम तो इन्सान हैं, स्वाभिमानी हैं, बुद्धि जीवी है, आत्मसम्मान ही इन्सान की अभिव्यक्ति होती है।
आजादी से पहले जब हमारा देश ब्रिटिश शासन के अधीन था। तब हम भारतीयों के कोई सपने नहीं हुआ करते थे। हमारे जीवन के कोई उद्देश्य नहीं थे। हमारे सुरक्षा के लिए, कोई संविधान नहीं था, न हम ब्रिटिश सरकार से कोई प्रश्न कर सकते थे।
अंग्रेजों ने लगभग दो सौ साल तक हम पर शासन किया। हमारे देश को लूटा, शासकीय प्रताड़ना का शिकार होते रहे, हमारे संप्रभुता और संस्कृति को मिटाने का पूरा प्रयास किया। हमारे अपनों के बीच में ही नफ़रत फैलाएं, हमें आपस में ही लड़ाते रहे। तब जाकर देश में एक नई क्रांति का उदय हुआ, लोगों में आत्म सम्मान, आत्म स्वाभिमान जागृति हुआ। धीरे-धीरे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया। देश के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के कुशासन को उखाड़ फेंकने के लिए मोर्चा खोल दी। उन्होंने ऐसे समय में अपने प्राणों की आहुति दी, जो उम्र बच्चों का खेलने-खाने, पढ़ने- लिखने का होता है। आजादी के आन्दोलन में कितने नरसंहार हुए? कितने माताएं विधवा हो गई? कितनों के कोख सुने हो गए ? कितने मासूमों की जाने चली गई ? महात्मा गांधी जी का सत्याग्रह, अहिंसा को हथियार बनाकर आजादी प्राप्त करने एक मात्र विकल्प मानकर अंग्रेजों पर अपना प्रभाव स्थापित करना और सरदार भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, गुरु सुखदेव, लाला लाजपत राय आदि क्रांतिकारियों ने जो संघर्ष किया उसके परिणाम स्वरूप हमारा आजाद भारत का सपना पूरा हुआ। 15 अगस्त 1947 ई की मध्य रात्रि को आजादी की अधिकारिक घोषणा की गई। दुर्भाग्य ने हमारा साथ फिर भी नहीं छोड़ा, देश दो भागों में बांट गया एक भारत, दूसरा पाकिस्तान।
आजादी के वे परवाने, जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए क्रांति लाई, उसे साकार करने के लिए अपने जान की कुर्बानी दे दी, एक लम्बी क्रान्ति के बाद आजादी तो दिला दी, लेकिन ये अलग बात है कि वे नए भारत का नई तस्वीर उभरते हुए नहीं देख सके। उन्होंने यह कुर्बानी भारत के 130 करोड़ लोगों के लिए ही तो दी, बदले में उन्हें क्या मिला? अमरत्व ! वे लोग ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर करके मां भारतीय को आजाद कराना ही अपना मूल कर्तव्य समझें। जिसके फलस्वरूप हमें आजादी के 75वी वर्ष गांठ को “अमृत महोत्सव” के रूप में मनाने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ। धन्य हैं वो माताएं जिन्होंने ऐसे क्रांतिकारियों को जन्म दिया। भारत हमेशा उनके कृत्य को याद रखेगा और हमेशा उनके प्रति कृतज्ञ रहेगा। आज भारत आजादी के 75वी वर्ष गांठ को “अमृत महोत्सव” के रूप में मना रहा है। आजादी के इस कालखंड को “अमृत वर्ष” के रूप में जाना जायेगा।

15/08/2022 लेखक- राकेश चौरसिया
9120639958

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 372 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राकेश चौरसिया
View all
You may also like:
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक बधाई व अनन्त शुभकामनाएं
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक बधाई व अनन्त शुभकामनाएं
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
■ छोटी सी नज़्म...
■ छोटी सी नज़्म...
*Author प्रणय प्रभात*
वो मुझे प्यार नही करता
वो मुझे प्यार नही करता
Swami Ganganiya
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम
Anand Kumar
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्रेम
प्रेम
Dr. Kishan tandon kranti
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रयास
प्रयास
Dr fauzia Naseem shad
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते है, पर उनकी बातों में विश्
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते है, पर उनकी बातों में विश्
जय लगन कुमार हैप्पी
मेरी बातों का असर यार हल्का पड़ा उस पर
मेरी बातों का असर यार हल्का पड़ा उस पर
कवि दीपक बवेजा
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
" तितलियांँ"
Yogendra Chaturwedi
इसमें हमारा जाता भी क्या है
इसमें हमारा जाता भी क्या है
gurudeenverma198
गुरु की महिमा
गुरु की महिमा
Ram Krishan Rastogi
ईमान
ईमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
Poonam Matia
रास्ते पर कांटे बिछे हो चाहे, अपनी मंजिल का पता हम जानते है।
रास्ते पर कांटे बिछे हो चाहे, अपनी मंजिल का पता हम जानते है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
शाकाहार बनाम धर्म
शाकाहार बनाम धर्म
मनोज कर्ण
वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
Neelam Sharma
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
2998.*पूर्णिका*
2998.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-327💐
💐प्रेम कौतुक-327💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कहाँ जाऊँ....?
कहाँ जाऊँ....?
Kanchan Khanna
शब्द कम पड़ जाते हैं,
शब्द कम पड़ जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
उमीदों के चरागों को कभी बुझने नहीं देना
उमीदों के चरागों को कभी बुझने नहीं देना
Dr Archana Gupta
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
Shweta Soni
पाप का जब भरता है घड़ा
पाप का जब भरता है घड़ा
Paras Nath Jha
मैं आँखों से जो कह दूं,
मैं आँखों से जो कह दूं,
Swara Kumari arya
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
Ankita Patel
Pollution & Mental Health
Pollution & Mental Health
Tushar Jagawat
Loading...