झेला अच्छा
भीड़ से हूँ अलग मैं अकेला अच्छा
किस को लगता है झमेला अच्छा।
यूँ तो कोसते रहते हैं हम दुनिया को
वैसे लगता है यहाँ का मेला अच्छा।
ये मुसलसल मुक़ाबला मुसीबतों से
जद्दो-जहद का यारों है रेला अच्छा।
चाँद,तारे,फूलऔ तितलियाँ ही नहीं
प्यार में लगता है संध्या बेला अच्छा ।
रौनक चेह्रे पर जो है अजय तुम्हारे
मतलब गमों को है तूने झेला अच्छा ।
-अजय प्रसाद