झूला पड़ गयो अमवाॅ के डार जी।
झूला पड़ गयो अमवाॅ के डार जी।
संइया बिन मनवा संइया बिन मनवा
संइया बिन मनवा न लागे हमार जी
ए जी कोई ला दे बाकूं अम्बे कोई बुला दे बाकूं
कह के गयो है मोसूं चार दिन कूं
रिमझिम रिमझिम बदरा बरसे नयन बावरे जियरा तरसे
हिया में जैसे लगे है कटार जी
झूला पड़ गयो अमवाॅ के डार जी।
राह मै ताकूं पलकें बिछाऊं
कासे कहूं री काकूं समझाऊँ
कैसे सजनवा को पास बुलाऊं
मोपे ना होवै अब श्रंगार जी ।
झूला पड़ गयो अमवाॅ के डार जी।
संइया बिन मनवा न लागे हमार जी