Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2017 · 2 min read

झूठ बोलता हु कबूल करता हु*

*झूठ बोलता हु
कबूल करता हु
जिम्मेदार हु या नहीं
उसे परखता हु

जन्म हुआ ममता स्नेह प्रेम-प्यार
रूप जननी मिली,
एक श्रेष्ठ घर-परिवार और पिता मिला
खुश थे सब घर-परिवार को एक प्राकृतिक उपहार मिला,

बदल गया सबकुछ
छोटे बढ़े सब झूठ-सच बिन समझ मुझ पर मँडराने लगे,
पहला झूठ जाति बनी,
जो कर्म पर आधारित थी,
पढ़ने गया
कुछ सिखने
कुछ बनने से
पहले ही नाम जाति निर्धारित हुई,

पैदा हुआ सरदार था,
मुंडन करा हिंदू बना,
खटना कर मुसलमान बना,
पहचान को तरस रहा हु
नास्तिक हु पता चला,
झूठ बोलता हु कबूल करता हु,
जिम्मेदार हु या नहीं परखता हु,

पग-पग पर संभाला गया,
जागने नहीं दिया विवेक,
मैंने पूछा? ये क्या है?
मंदिर है ये,मस्जिद है ये?
उत्सुक होकर पूछा ?
ये अलग-अलग क्यों है?
इनमें क्या होता है ?
कोई जवाब न मिला ?
उनके चेहरे की तरफ़ देखा तो,
शुकून मिला !
अकेला महेंद्र झूठा नहीं है,
तब पता लगा,
झूठ बोलता हु पर कबूल करता हु

आज पैर तो है,
पर अपाहिज़ हु
चल नहीं सकता,बिन सहारे के,
झूठ बोलता हु कबूल करता हु,

पर्व है उत्सव है तीज़-त्योहार है,
खुश बहुत रहता हु,
बलि चढ़ेगा कोई जीव
इसलिए रोता हु

चढ़ गई कोई कौम
बेचकर इमान
दबाकर इंसान,
हो गए पत्थर के इमान
इंसानियत को मार डाला,

विवेक जगे..पहचान मिले,
फिर कौन हिंदू-मुसलमान कहे,

जो लोग मुफ्त कौम के नाम का खाते है, बस उनकी पहचान करें,

गर दस्तकार हो
हूनर है तो दुनिया सलाम करें,
उपयोगिता खोजें और व्यक्तिगत व्यवहार करें, जीवंत है उसका प्रमाण बने,

जय भीम जय संविधान जय भारत
जीव मुक्त है,
जीवन एक लय का नाम जिसे धर्म कहते है,
बिन परख मत आप्त वचन पर विश्वास करें,
फिर जो है वो है,जो नहीं है वो नहीं है,
डॉ महेन्द्र सिंह खालेटिया,

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 362 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

पाक दामन कौन है यहां ?
पाक दामन कौन है यहां ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
बकरा जे कटवइबऽ तू
बकरा जे कटवइबऽ तू
आकाश महेशपुरी
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यह कैसा प्यार
यह कैसा प्यार
Abasaheb Sarjerao Mhaske
पुष्प रुष्ट सब हो गये,
पुष्प रुष्ट सब हो गये,
sushil sarna
मोहब्बत में ग़र बेज़ुबानी रहेगी..!
मोहब्बत में ग़र बेज़ुबानी रहेगी..!
पंकज परिंदा
मन नहीं होता
मन नहीं होता
Surinder blackpen
पेड़ पौधे और खुशहाली
पेड़ पौधे और खुशहाली
Mahender Singh
Someone told me
Someone told me "whenever your life is feeling stagnant or a
पूर्वार्थ
"खरा सोना "
Yogendra Chaturwedi
तेरा नाम रहेगा रोशन, जय हिंद, जय भारत
तेरा नाम रहेगा रोशन, जय हिंद, जय भारत
gurudeenverma198
अपना जख्म
अपना जख्म
Dr.sima
उलझी  उलझी  सी रहे , यहाँ  वक़्त की डोर
उलझी उलझी सी रहे , यहाँ वक़्त की डोर
Dr Archana Gupta
भोगी
भोगी
Sanjay ' शून्य'
*शिवोहम्*
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
सुनीलानंद महंत
*जुलूस की तैयारी (छोटी कहानी)*
*जुलूस की तैयारी (छोटी कहानी)*
Ravi Prakash
आनंद
आनंद
Rambali Mishra
घर के किसी कोने में
घर के किसी कोने में
आकांक्षा राय
शॉल (Shawl)
शॉल (Shawl)
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
मजबूरी
मजबूरी
The_dk_poetry
दाग
दाग
Neeraj Agarwal
7.प्रश्न
7.प्रश्न
Lalni Bhardwaj
जल बचाकर
जल बचाकर
surenderpal vaidya
हम बात अपनी सादगी से ही रखें ,शालीनता और शिष्टता कलम में हम
हम बात अपनी सादगी से ही रखें ,शालीनता और शिष्टता कलम में हम
DrLakshman Jha Parimal
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
"गहराई में बसी है"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेरक गीत
प्रेरक गीत
Saraswati Bajpai
मतलबी इंसान हैं
मतलबी इंसान हैं
विक्रम कुमार
जीवन की संगत में शामिल जब होती अभिलाषाओं की डोर
जीवन की संगत में शामिल जब होती अभिलाषाओं की डोर
©️ दामिनी नारायण सिंह
Loading...